कल तक जिसके पैरों में सस्ते जूते थे , आज दुनिया की सबसे बड़ी जूतों की कंपनी ने उसके नाम के जूते बनाये है , ये है असली Success .
जी हाँ , दोस्तों हम बात कर रहे है , Hima Das , जिनको हम गोल्डन गर्ल और ढिंग एक्सप्रेस के नाम से भी जानते है।
दोस्तों ये Motivational Story इतनी खास क्यूँ है जरा सोचिये ,एक लड़की जिनके पिता एक किसान थे ,जो असम के एक छोटे से गांव में रहती थी ,जिसके पास हम लोगो जैसी कोई सुविधा नहीं थी ,थे तो बस सपने।
तो कितना मुश्किल हुआ होगा , इन सब कठिनाइयों को पीछे छोड़ कर ,एक ऐसे खेल में नाम कमाना जिसमे अभी तक भारत ने एक भी गोल्ड मैडल नहीं जीता था।
सच कहूँ तो हम में से ज्यादातर लोग तो यही हार मान लेते ,कोई नहीं कर पाया तो हम कैसे कर पाएंगे , पर Hima Das इरादों की पक्की थी।
Hims Das का जन्म 9 जनवरी 2000 में असम की कंधुलीमारी नाम के एक छोटे से गांव में हुआ था ,वे अपने माता जोनाली दास एवं पिता रोंजित दास की पांचवी संतान है ।
बचपन में Hima Das को फूटबाल का बड़ा शौक था ,वो बड़े होकर फुटबॉलर बनना चाहती थी ,एक बार उनके Coach निपोन दास की नज़र फुटबॉल खेलती हुई Hima पर पड़ी , उनको Hima की प्रतिभा नज़र आयी।
Coach निपोन दास उन्हें ट्रेनिंग के लिए 140 किलोमीटर दूर गुवाहटी लाना चाहते थे ,इसलिए उन्होंने Hima के पिता से आज्ञा मांगी पहले तो हिमा के पिता नहीं माने पर Coach निपोन दास ने उन्हें मना लिया।
दोस्तों जैसे एक कामयाब आदमी के पीछे एक औरत का हाथ होता है वैसे ही एक कामयाब बेटी के पीछे उसके पिता का हाथ होता है।
हिमा दास की कामयाबियां
Hima Das को पहली बड़ी सफलता जुलाई 2018 में मिली जब उन्होंने World U -20 Championship 2018 Finland में 400m की दौड़ में गोल्ड मैडल जीता ,ये करने वाली वो पहली भारतीय बानी।
2018 में उन्हें अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया।

जुलाई 2019 में धमाकेदार प्रदर्शन करते हुए Hima ने लगातार 5 बार गोल्ड मैडल जीते।
जुलाई में पहली बार हिमा ने 2 जुलाई को 200 मीटर की रेस 23.65 सेकंड में पूरी की थी और पोलैंड में पोजनान एथेलेटिक्स ग्रैंड प्रिक्स (Poznan Athletics Grand Prix) में स्वर्ण पदक हासिल किया था.
इसके बाद दूसरी बार 8 जुलाई को उन्होंने पोलैंड में ही कुट्नो एथेलेटिक्स मीट में 200 मीटर की रेस को 23.97 सेकंड में पूरा करके स्वर्ण पदक हासिल किया था,
फिर तीसरी बार 13 जुलाई को उन्होंने क्जेच रिपब्लिक में क्लाद्नो एथेलेटिक्स मीट (Kladno Athletics Meet in Czech Republic) में 23.43 सेकंड के साथ 200 मीटर की रेस में स्वर्ण पदक और
चौथी बार 17 जुलाई को टाबोर एथेलेटिक मीट (Tabor Atheletic Meet) में भी 200 मीटर में स्वर्ण पदक जीता था, इस तरह ये उनका इस महीने में पांचवा स्वर्ण पदक हैं.
पूरी दुनिया के ध्यान को Hima Das ने अपनी ओर खींच ही लिया इसे कहते है असली girl Power और आगे भी वो ऐसे ही मैडलों की लड़ी लगाएगी क्यूंकि दोस्तों एक बार जीत का फितूर दिमाग में उतर जाए तो इंसान सिर्फ जीतता ही है।
Conclusion :–
ये थी एक छोटे गांव की लड़की Hima Das की एक बड़ी कामयाबी की कहानी ,ये उन लोगो के मुँह पर एक तमाचा है जो लोग रोते हुए कहते है की साधन होते तो वे भी कामयाब होते पर दोस्तों कामयाबी के लिए जूनून और खुद पर भरोसा चाहिए।
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